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पादप प्रजनन कला है या विज्ञान

पादप प्रजनन कला है या विज्ञान

आज से 9000 से 11000 वर्ष पूर्व जब अनुवांशिकी के सिद्धांतों की खोज नहीं हुई थी तब Plant Breeding  मुख्य रूप से ब्रीडर की दक्षता पर निर्भर होती थी उस समय BreedingMethods और Selection Procedure , जेनेटिक्स के सिद्धांतो पर आधारित नहीं हुआ करते थे प्रारंभ में जब जेनेटिक्स के सिधान्तो की खोज नहीं हुई थी तब पौधों के लक्षणों की उत्पत्ति कैसे हुई थी | लक्षण  कैसे एक Generation  से दूसरे Generation में जाते हैं तथा विभिन्न लक्षणों में वेरिएशन क्यों  होता है का  कोई ज्ञान नहीं था उस समय जब अनुवांशिकी के सिद्धांतों की खोज नहीं हुई थी तब तक पादप प्रजनन मुख्य रूप से कला ही होती थी उस समय तक तमाम फसल सुधर  कार्यक्रम Plant Breeder के कार्य करने वाले की दक्षता पर निर्भर होती थी| उस समय अच्छा प्लांट ब्रीडर उसे माना जाता था जो अपने अनुभव के आधार पर एक ही समय में एक से अधिक उत्कृष्ट लक्षणों का सिलेक्शन कर सके

किंतु बाद में जब अनुवांशिकी के सिद्धांतों की खोज हो चुकी थी तथा प्लांट ब्रीडिंग के मेथड की खोज हो जाने के बाद पादप प्रजनन अनुवांशिकी के सिद्धांतों पर आधारित हो गई बाद में प्लांट ब्रीडर किसी भी फसल में सुधार की परियोजना पर कार्य करते थे तो उनकी पूरी कार्य योजना प्लांट ब्रीडिंग के सिद्धांतों पर आधारित होने लगी जब पौधों में सुधार करने की बात आने लगी तो प्लांट ब्रीडर प्लांट ब्रीडिंग की नवीन विधाओ जैसे इंट्रोडक्शन सिलेक्शन हाइब्रिड डाइजेशन मॉलिक्यूलर सिलेक्शन आदि नवीन तकनीकों का इस्तेमाल शुरू कर दिया अतः बाद में जब इन पादप प्रजनन की नवीन तकनीकों का के आधार पर फसल में सुधार के कार्यक्रम अपनाए जाने लगे तो यह विज्ञान का रूप लेने लगा

किंतु आज भी जब पादप प्रजनन सिलेक्शन , हाइब्रिड डाइजेशन और F2 जनरेशन और आगे की जनरेशन में जब सिलेक्शन करते हैं तो उन्हें आज भी दक्षता पर  निर्भर होना पड़ता है  किंतु आज मॉलिक्यूलर मार्कर तकनीक के आ जाने से एवं अन्य नवीन विधाओं के कारण आज के दौर में मुख्य रूप से पादप प्रजनन विज्ञान की एक शाखा के रूप में कार्य कर रही है |